समास की पूरी जानकारी | समास के भेद परिभाषा और उदाहरण – Samas … समास – परिभाषा, भेद, उदाहरण | Samas In Hindi 2023 समास की परिभाषा भेद, उदाहरण-Samas In Hindi
समास हिंदी में (Types of Samas in Hindi Grammar)
समास में विषय :
- बहुव्रीहि समास के उदाहरण (Bahuvir Samas key Udaharan)
- समास क्या है? (Samas kya hey)
- समास के प्रश्न (Samas key prashn)
- समास परिभाषा व भेद (Samas Paribhasha va Bhed)
- समास के प्रकार और उदाहरण (Samaas Ke Prakaar aur Udaaharan)
- समास के भेद का चार्ट (Samas key Bhed ka Chart)
- कर्मधारय समास(Karmadhaaray Samaas)
Samas In Hindi 2023
समास की विशेषताएं
इस प्रकार Samas in hindi की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –
- समास में दो पदों का योग होता है।
2. दो पद मिलकर एक पद का रूप धारण कर लेते हैं।
3. दो पदों के बीच की विभक्ति का लोप हो जाता है।
4. दो पदों में कभी पहला पद प्रधान और कभी दूसरा पद प्रधान होता है। कभी दोनों पद प्रधान होते हैं।
5. संस्कृत में समास होने पर संधि अवश्य होती है, किंतु हिंदी में ऐसी विधि नहीं है।
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अव्ययीभाव समास
जिस समास का पहला पद कोई अव्यय (अविकारी शब्द) होता है, उस समास को अव्ययीभाव समास कहते हैं: जैसे- ‘यथासमय’ समस्तपद ‘यथा’ और ‘समय’ के योग से बना है। इसका पूर्वपद ‘यथा’ अव्यय है और इसका विग्रह होगा- ‘समय के अनुसार।
अन्य उदाहरण–
समस्तपद | अव्यय | विग्रह |
आजीवन | आ | जीवन भर |
यथोचित | यथा | जितना उचित हो |
यथाशक्ति | यथा | शक्ति के अनुसार |
भरपूर | भर | पूरा भरा हुआ |
आमरण | आ | मरण तक |
बेमिसाल | बे | जिसकी मिसाल न हो |
बेमौके | बे | बिना मौके के |
अनुरूप | अनु | रूप के अनुसार |
बेखटके | बे | बिना खटके के |
प्रतिदिन | प्रति | दिन-दिन/हर दिन |
हरघड़ी | हर | घड़ी-घड़ी |
प्रत्येक | प्रति | एक-एक |
बाअदब | बा | अदब के साथ |
प्रत्यक्ष | प्रति | आँखों के सामने |
द्वंद्व समास
- द्वंद्व समास में कोई पद गौण नहीं होता बल्कि दोनों ही पद प्रधान होते हैं।
- समस्तपद बनाते समय दोनों पदों को जोड़नेवाले समुच्चयबोधक अव्ययों-‘और’, ‘तथा’, ‘या’ आदि को हटा दिया जाता है तथा विग्रह करते समय इनको पुनः दोनों पदों के बीच जोड़ दिया जाता है; जैसे- राम-श्याम. इसका विग्रह होगा- राम और श्याम।
Samas in hindi :अन्य उदाहरण
समस्तपद | विग्रह |
दाल-चावल | दाल और चावल |
जल-थल | जल और थल |
माता-पिता | माता और पिता |
नदी-नाले | नदी और नाले |
बाप-दादी | बाप और दादा |
छोटा-बड़ा | छोटा और बड़ा |
राधा-कृष्ण | राधा और कृष्ण |
पूर्व-पश्चिम | पूर्व और पश्चिम |
आगे-पीछे | आगे और पीछे |
गुण-दोष | गुण और दोष |
स्वर्ग-नर्क | स्वर्ग और नर्क |
अन्न-जल | अन्न और जल |
खट्टा-मीठा | खट्टा और मीठा |
रात-दिन | रात और दिन |
हार-जीत | हार और जीत |
पाप-पुण्य | पाप और पुण्य |
राजा-रंक | राजा और रंक |
जीवन-मरण | जीवन और मरण |
सम्बन्ध तत्पुरुष समास के उदाहरण (sambandh tatpurush samas ke udaharan)
- देवपूजा = देव की पूजा
- आमवृक्ष = आम का वृक्ष
- राजकुमारी = राज की कुमारी
- जलधारा = जल की धारा
- राजनीति = राजा की नीति
- सुखयोग = सुख का योग
- मूर्तिपूजा = मूर्ति की पूजा
- राजपुत्र = राजा का पुत्र
- गंगाजल =गंगा का जल
- लोकतंत्र = लोक का तंत्र
- दुर्वादल =दुर्व का दल
- देशरक्षा = देश की रक्षा
- सीमारेखा = सीमा की रेखा
- श्रधकण = श्रधा के कण
- शिवालय = शिव का आलय
करण तत्पुरुष समास के उदाहरण (karan tatpurush samas ke udaharan):
- धनहीन = धन से हीन
- बाणाहत = बाण से आहत
- ज्वरग्रस्त =ज्वर से ग्रस्त
- मदांध =मद से अँधा
- रसभरा =रस से भरा
- स्वरचित =स्व द्वारा रचित
- मनचाहा = मन से चाहा
- शोकग्रस्त = शोक से ग्रस्त
- भुखमरी = भूख से मरी
- भयाकुल = भय से आकुल
- आँखोंदेखी = आँखों से देखी
अधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण (adhikaran tatpurush samas ke udaharan)
- कार्य कुशल =कार्य में कुशल
- दीनदयाल = दीनों पर दयाल
- दानवीर = दान देने में वीर
- सिरदर्द = सिर में दर्द
- क्लाकुशल = कला में कुशल
- वनवास =वन में वास
- ईस्वरभक्ति = ईस्वर में भक्ति
- आत्मविश्वास = आत्मा पर विश्वास
- शरणागत = शरण में आगत
- आनन्दमग्न = आनन्द में मग्न
- आपबीती =आप पर बीती
- आचारनिपुण = आचार में निपुण
- जलमग्न =जल में मग्न
कर्मधारय समास
ध्यान रखिए, कर्मधारय समास के दोनों पदों के बीच दो तरह के संबंध हो सकते हैं-विशेषण–विशेष्य तथा उपमेय–उपमान* । वस्तुतः उपमान भी उपमेय की विशेषता बताने का ही कार्य करता है।
विशेषण–विशेष्य संबंध वाले कर्मधारय समास
विशेषण | विशेष्य | समस्तपद | विग्रह |
नील | गाय | नीलगाय | नीली है जो गाय |
महा | आत्मा | महात्मा | महान है जो आत्मा |
भला | मानस | भलामानस | भला है जो मानस |
महा | देव | महादेव | महान है जो देव |
पर | नारी | परनारी | पराई है जो नारी |
उत्तम | पुरुष | पुरुषोत्तम | उत्तम है जो पुरुष |
अन्य उदाहरण
समस्तपद | विग्रह |
कालीमिर्च | काली है जो मिर्च |
कापुरुष | का (कायर) है जो पुरुष |
सत्धर्म | सत् (सच्चा) है जो धर्म |
प्रधानमंत्री | प्रधान है जो मंत्री |
अंधविश्वास | अंधा है जो विश्वास |
महाराज | महान है जो राजा |
महर्षि | महान है जो ऋषि |
अंधकूप | अंधा है जो कूप |
तत्पुरुष समास के भेद
तत्पुरुष समास के अंतर्गत दो प्रकार के समास आते हैं-
(क) कारकीय-चिह्न युक्त तत्पुरुष समास
(ख) कारकीय-चिह्न रहित तत्पुरुष समास
(क) कारकीय–चिह्न युक्त तत्पुरुष समास-जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है इस वर्ग के तत्पुरुष समासों के दोनों पदों के बीच कोई न कोई कारकीय-चिह्न (कर्ता तथा संबोधन कारक को छोड़कर) अवश्य आता है तथा समस्तपद बनाते समय इनका लोप कर दिया जाता है और विग्रह करते समय उन्हें पुनः जोड़ दिया जाता है; जैसे-कष्टसाध्य = कष्ट से साध्य, बाढ़ पीड़ित=बाढ़ से पीड़ित आदि।
कारकीय-चिह्नों के आधार पर तत्पुरुष समास के निम्नलिखित भेद सामने आते हैं-
(i) कर्म तत्पुरुष (चिह्न-को)
(ii) करण तत्पुरुष (चिह्न-से/के द्वारा)
(iii) संप्रदान तत्पुरुष (चिह्न-के लिए)
(iv) अपादान तत्पुरुष (चिह्न- से अलग होना)
(v) संबंध तत्पुरुष (चिह्न-का/की/के)
(vi)अधिकरण तत्पुरुष (चिह्न- में/पर)
(i) कर्म तत्पुरुष (चिह्न-‘को’)
समस्तपद | विग्रह |
जेबकतरा | जेब को कतरनेवाला |
यशप्राप्त | यश को प्राप्त |
सुखप्राप्त | सुख को प्राप्त |
गगनचुंबी | गगन को चूमनेवाला |
ग्रामगत | ग्राम को गत |
विदेशगत | विदेश को गत |
स्वर्गगत | स्वर्ग को गत |
परलोकगमन | परलोक को गमन |
(ii) करण तत्पुरुष (चिह्न-‘से’/के द्वारा ‘)
समस्तपद | विग्रह |
प्रेमाकुल | प्रेम से आकुल |
कष्टसाध्य | कष्ट से साध्य |
रेखांकित | रेखा से अंकित |
प्रेमातुर | प्रेम से आतुर |
मदमस्त | मद से मस्त |
तुलसीकृत | तुलसी से/के द्वारा कृत |
शोकाकुल | शोक से आकुल |
भयग्रस्त | भय से ग्रस्त |
गुणयुक्त | गुणों से युक्त |
हस्तलिखित | हाथ से लिखित |
विरहाकुल | विरह से आकुल |
मनचाहा | मन से चाहा |
बाढ़पीड़ित | बाढ़ से पीड़ित |
स्वरचित | स्व से/के द्वारा रचित |
(iii) संप्रदान तत्पुरुष(चिह्न– के लिए)
समस्तपद | विग्रह |
मार्गव्यय | मार्ग के लिए व्यय |
रसोईघर | रसोई के लिए घर |
मालगोदाम | माल के लिए गोदाम |
आरामकुरसी | आराम के लिए कुरसी |
दानपेटी | दान के लिए पेटी |
पूजाघर | पूजाके लिए घर |
दानपात्र | दान के लिए पात्र |
सत्याग्रह | सत्य के लिए आग्रह |
देशभक्ति | देश के लिए भक्ति |
डाकगाड़ी | डाक के लिए गाड़ी |
प्रयोगशाला | प्रयोग के लिए शाला |
पाठशाला | पाठ के लिए शाला |
(iv)अपादान तत्पुरुष ( चिन्ह-‘से’ अलग होने के अर्थ में)
समस्तपद | विग्रह |
कर्महीन | कर्म से हीन |
कार्यमुक्त | कार्य से मुक्त |
विद्याहीन | विद्या से हीन |
नेत्रहीन | नेत्रों से हीन |
धनहीन | धन से हीन |
भुखमरा | भूख से मरा |
घरनिकाला | घर से निकाला |
ऋणमुक्त | ऋण से मुक्त |
धर्मभ्रष्ट | धर्म से भ्रष्ट |
सेवामुक्त | सेवा से मुक्त |
रोगमुक्त | रोग से मुक्त |
(v) संबंध तत्पुरुष (चिह्न-‘का, के, की’)
समस्तपद | विग्रह |
राजकुमार | राजा का कुमार |
राजपुत्र | राजा का पुत्र |
जीवनसाथी | जीवन का साथी |
घुड़दौड़ | घोड़ों की दौड़ |
राष्ट्रपतिभवन | राष्ट्रपति का भवन |
सिरदर्द | सिर का दर्द |
मृत्युदंड | मृत्यु का दंड |
प्राणनाथ | प्राणों का नाथ |
मातृभक्ति | मातृ की भक्ति |
प्रसंगानुसार | प्रसंग के अनुसार |
गृहस्वामी | गृह का स्वामी |
कविगोष्ठी | कवियों की गोष्ठी |
ग्रामपंचायत | ग्राम की पंचायत |
सेनानायक | सेना का नायक |
उद्योगपति | उद्योग का पति |
(vi) अधिकरण तत्पुरुष (चिह्न-‘में, ‘पर’)
समस्तपद | विग्रह |
जगबीती | जग पर बीती |
शरणागत | शरण में आगत पुरुषों में उत्तम |
कलानिपुण | कला में निपुण |
व्यवहारकुशल | व्यवहार में कुशल |
देशाटन | देश में अटन |
गृहप्रवेश | गृह में प्रवेश |
रेलगाड़ी | रेल पर चलनेवाली गाड़ी |
रसमग्न | रस में मग्न |
आपबीती | आप (अपने) पर बीती |
FAQs!
समास कितने प्रकार के होते हैं?
अव्ययीभाव समास
तत्पुरुष समास
कर्मधारय समास
द्विगु समास
द्वंद्व समास
बहुव्रीहि समास
महाकवि कौन सा समास है?
कर्मधारय समास
नीलकमल में कौन सा समास है?
कर्मधारय समास
देशांतर में कौन सा समास है?
तत्पुरुष समास
समास के कितने पद होते हैं?
समास में दो पद होते हैं।
एक-एक शब्द में कौन सा समास है?
अव्ययीभाव समास
महाकाव्य समस्त पद में कौन सा समास है?
कर्मधारय समास
दोपहर में कौन सा समास होगा?
द्विगु समास
समास क्या है और उसके भेद?
दो या दो से अधिक शब्द से बने हुए नए शब्द को समास कहा जाता है। इस के चार भेद होते हैं जिनके नाम है – अव्ययीभाव, कर्मधारय, द्विगु, और बहुव्रीहि।
समास के कितने भेद हैं example?
समास के 6 प्रकार होते हैं। जो इस प्रकार हैं -अव्ययी भाव समास, तत्पुरुष समास, कर्मधारय समास, द्विगु समास, द्वन्द्व समास और बहुव्रीहि समास।
29 में कौन सा समास है?
29 (उन्तीस) एक संख्या है और यह संख्या का बोध कराता है इसके लिए 29 में द्विगु समास है।
समास क्या होता है इन हिंदी?
समास शब्द-रचना की ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अर्थ की दृष्टि से परस्पर भिन्न तथा स्वतंत्र अर्थ रखने वाले दो या दो से अधिक शब्द मिलकर किसी अन्य स्वतंत्र शब्द की रचना करते हैं। समास विग्रह सामासिक शब्दों को विभक्ति सहित पृथक करके उनके संबंधों को स्पष्ट करने की प्रक्रिया है।
64 में कौन सा समास है?
इस पद में ‘हीन’ पद ‘भावना’ के लिये विशेषण है, अतः यहाँ कर्मधारण्य समास होगा।
31 में कौन सा समास है?
(31) इक़टीस में संख्यावाचक द्विगु समास है!